tag:blogger.com,1999:blog-15070835.post112611221018362602..comments2024-02-24T17:00:02.671-05:00Comments on kavyakala: लाला दीनदयाल का अमेरिका निवासLaxmihttp://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-15070835.post-1126298837048652172005-09-09T16:47:00.000-04:002005-09-09T16:47:00.000-04:00चलिये अब इस सम्वाद को एक पीढ़ी आगे बढ़ाते हैं। अगल...चलिये अब इस सम्वाद को एक पीढ़ी आगे बढ़ाते हैं। अगली पोस्ट में पढ़िये मनोहरदास और उनके टीनएज पुत्र का सम्वाद। घास काटने की जिम्मेदारी अब इस "हाऊ आर यू डोइंग" कहने वाले पुत्र पर है। थोड़ी प्रतीक्षा करिये।<BR/><BR/>लक्ष्मीनारायणLaxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15070835.post-1126296516223998162005-09-09T16:08:00.000-04:002005-09-09T16:08:00.000-04:00kavi samalena ka to maja hi aa gaya.....raman aur ...kavi samalena ka to maja hi aa gaya.....raman aur laxmi ji ek se bar ek......bahut khoobTarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15070835.post-1126275108457560192005-09-09T10:11:00.000-04:002005-09-09T10:11:00.000-04:00चलिए कोशिश करते हैं....ठीक है तात नहीं करते बातें ...चलिए कोशिश करते हैं....<BR/><BR/>ठीक है तात नहीं करते बातें टागों की<BR/>पर रात ही तुम देख रहे थे लेट नाइट टीवी।<BR/><BR/>माना सारे शास्त्र पढ़े हो आप बचपन में<BR/>पर सठिया गए हैं आप केवल पचपन में।<BR/><BR/>कोकशास्त्र यदि वास्तव में आप काम न लाते,<BR/>तो मेरा भी इस दुनिया में नाम न लाते।<BR/><BR/>आप में जुर्रत ना हो बाप से बतियाने की<BR/>अब तो बात बदल गई है नए ज़माने की।<BR/><BR/>मेरा बेटा अभी दिखाता है मुझ को सींग<BR/>प्रणाम नहीं करता, बस करता हाउ आर यू डूइंग।<BR/><BR/>भुगतें आप ही घूसखोरी, लालू और मुलायम <BR/>अपने यहाँ तो बुश की सीनाजोरी है कायम।<BR/><BR/>यह तय है कि जब हम भी बूढे हो जाएँगे<BR/>तब तो दौड़े दौड़े देश को अपने ही जाएँगे।<BR/><BR/>तब तक तात हमारी ओर से सुन लें सौरी<BR/>बहुत साल के बाद मिल कर खाएँगे कचौरी।Kaulhttps://www.blogger.com/profile/16384451615858129858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15070835.post-1126270328978700322005-09-09T08:52:00.000-04:002005-09-09T08:52:00.000-04:00रमण भाईहम आपके जवाब का इंतजार अक रहे है.मजा आ गया ...रमण भाई<BR/><BR/>हम आपके जवाब का इंतजार अक रहे है.<BR/><BR/>मजा आ गया !<BR/><BR/>आशीषAshish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15070835.post-1126241518542135682005-09-09T00:51:00.000-04:002005-09-09T00:51:00.000-04:00वाह भई, यह तो बढ़िया कवि सम्मेलन हो गया. मज़ा आ गय...वाह भई, यह तो बढ़िया कवि सम्मेलन हो गया. मज़ा आ गया. वाह! वाह!<BR/><BR/>**<BR/>पुनश्चः गुप्त जी, आपकी गणेश जी पर कविता रचनाकार में दी है. कृपया देखेंगे.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15070835.post-1126234349917814542005-09-08T22:52:00.000-04:002005-09-08T22:52:00.000-04:00लाला दीनदयाल का जवाबअरे पुत्र कुछ तो बाप का लिहाज ...लाला दीनदयाल का जवाब<BR/><BR/>अरे पुत्र कुछ तो बाप का लिहाज करो<BR/>नंगी टाँगों का ज़िक्र हम से न करो<BR/><BR/>मैंने भी कभी पढ़ाथा कोकशास्त्र<BR/>बाप से बताने की कहाँ मुझमें थी ज़ुर्रत<BR/><BR/>पुत्र यदि तुम्हें घास ही काटनी थी<BR/>पी एच डी करने की क्या ज़रूरत थी<BR/><BR/>गांधी और गीता का आदर्श अब कहाँ है<BR/>मुलायम और लालू का युग चल रहा है<BR/><BR/>अरे पुत्र बाबू लोग घूस थोड़े ही लेते हैं<BR/>बस चाय पानी भर की व्यवस्था कराते हैं<BR/><BR/>और अगर भारत में घूस नहीं होती<BR/>दूसरे नम्बर की एकानमी कैसे चलती<BR/><BR/>जल्दी ही आना देश, पुत्र करना नहीं देरी<BR/>चाँदनीचौक में फिर खायेंगे कचौरीLaxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15070835.post-1126194480230451852005-09-08T11:48:00.000-04:002005-09-08T11:48:00.000-04:00पुत्र मनोहरदास यूँ बोले ना चलते हों भले यहाँ रिक्श...पुत्र मनोहरदास यूँ बोले <BR/><BR/>ना चलते हों भले यहाँ रिक्शे और ताँगे<BR/>देख देख कर खुश होते हम नंगी टाँगें।<BR/><BR/>घास काटते हैं तो क्या, यही करते सारे<BR/>देस में करते काम तो कहलाते घसियारे।<BR/><BR/>अपना ही तो काम है, इस में क्या शरमाना,<BR/>गीता, गान्धी, सब का तो है यही फरमाना।<BR/><BR/>बिना घूस के हो जाते सभी काम घर के<BR/>बेईमान तो नहीं यहाँ बाबू दफ़तर के।<BR/><BR/>फिर भी देश की अपने याद बहुत है आती<BR/>उस के विरह में हमारी फटती छाती।<BR/><BR/>रास हमें आया है, भले हो जीवन विकट<BR/>हम तो सालाना जाएँगे, पर विद ऍ रिटर्न टिकट।Kaulhttps://www.blogger.com/profile/16384451615858129858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-15070835.post-1126144304268144242005-09-07T21:51:00.000-04:002005-09-07T21:51:00.000-04:00बढि़या लिखा है.लाला दीनदयाल के जाने के पहले यह बता...बढि़या लिखा है.लाला दीनदयाल के जाने के पहले यह बता दो कि पुत्र क्या बोला उनसे?अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com